सौन्दर्य निधि श्याम
मैं सुनता हूँ दिन रात प्रभु, तुम हो अनंत सौन्दर्य धाम
यह रूप-माधुरी कैसी है, एक झलक दिखादो मुझे श्याम
सुंदर स्वरूप प्रिय बातों ने, चित चोरा था गोपी-जन का
सो तीव्र लालसा मुझको है, वह रूप देख लूँ मोहन का
मैं हूँ अधीर दिन रात श्याम, कब दर्शन दोगे मुझे आप
कहीं राह देखते रह न जाउँ, तब होगा मन में बड़ा ताप