परब्रह्म श्याम
मैं नहीं माटी खाई मैया, मैं नहीं माटी खाई
ग्वाल सखा सब झूठे मैया, जिनको तू पतियाई
एक बार चुपके से लाला ने जब मिट्टी खाई
देख लिया मैया न उसको, तभी दौड़ कर आई
हाथ पकड़ उसका तब बोलीं, मुँह तो खोल कन्हाई
तीनों लोक लाल के मुँह में, देखे तो चकराई
परंब्रह्म यह लाल हमारा, जिसको कहें कन्हाई
कहा यही था गर्ग-देव ने, याद आज अब आई
बाबा कहे ‘न डाँटो लाला’ यह केवल निठुराई
पाँच बरस का नन्हा बालक, मैया भी पछताई