दुर्गादेवी स्तवन
मैं भजन करूँ दुर्गा माँ का
दुर्गुण मेरे सब नष्ट करो, आश्रय केवल ही माता का
सद्बुद्धि प्रदान तू ही करती, सेवक के सारे कष्ट हरे
विघ्नों को माता हर लेती, माँ कठिन कार्य को सुगम करे
जब हानि धर्म की होती हैं, दैत्यों का नाश तुम्हीं करती
ओ स्नेहमयी मेरी माता, भक्तों की विपदा को हरती
माँ का सौन्दर्य अद्वितीय है, शक्ति का कोई पार नहीं
आयुध अनेक धारण करती, दुर्गा माता की बान यहीं
दुर्गम चरित्र है मैया का, देवता न ऋषि-मुनी जान सके
गति है माता की भेदमयी, कोई कैसे उसे बखान सके
हम माया-मोह में फँसे लोग, कुछ राह नहीं दिखती हमको
मंगलमय माँ दर्शन तेरा, हम पुत्र, बचालो माँ सबको