कर्म विपाक
करम गति तारे नाहिं टरी
मुनि वसिष्ठ से पण्डित ज्ञानी, सोध के लगन धरी
सीता हरण, मरण दशरथ को, वन में विपति परी
नीच हाथ हरिचन्द बिकाने, बली पताल धरी
कोटि गाय नित पुण्य करत नृग, गिरगिट जोनि परी
पाण्डव जिनके आप सारथी, तिन पर विपति परी
दुर्योधन को गर्व घटायो, जदुकुल नाश करी
राहु केतु अरु भानु चन्द्रमा, विधि संजोग परी
कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, होनी नाहिं टरी
PLEASE GIVE HINDI TRANSLATION OF THIS BHAJAN.
Very inspirational & devotional bhajan.
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