श्री हनुमान
कपिराज श्री हनुमान का है वर्ण सम सिन्दूर के
ललाट पर केशर तिलक, हाथों में वज्र ध्वजा गही
अनुराग भारी झलकता, दो नयन से महावीर के
गल-माल तुलसी की ललित, मुस्कान मुख पे खिल रही
वे ध्यान में डूबे हुए, रघुकुल-तिलक श्री राम के
पुलकायमान शरीर है, अद्भुत छटा है छा रही
वे पर-ब्रह्म स्वरूप हैं, सेवक बड़े श्री राम के
महादेव के जो पुत्र हैं, संकट मेरे हर ले वही