माँ दुर्गा की स्तुति
कालिका कष्ट हरो हे माँ!
नील-मणि के सम कांति तुम्हारी, त्रिपुर सुन्दरी माँ
चन्द्र मुकुट माथे पर धारे, शोभा अतुलित माँ
किया आपने महिषासुर वध, शुंभ निशुंभ विनाश
शक्ति न ऐेसी और किसी में, छाया अति उल्लास
ऋषि, मुनि, देव समझ ना पाये, महिमा अपरंपार
कौन दूसरा जान सके, माँ विश्व सृष्टि आधार
पढ़े सुने माहात्म्य तुम्हारा, पाप ने फटके पास
मनः शान्ति सुख, सम्पति पाये, कष्टों का हो ह्रास