झूला
झूले युगल किशोर
अति आनन्द भरे रस गावत, लेत प्रिया चित चोर
कंचन मणि के खम्भ बनाये, श्याम घटा घन घोर
पीत वसन दामिनी छवि लज्जित, बोलन लागे मोर
रत्न जटित पटली पर बैठे, नागर नन्द किशोर

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