महालक्ष्मी स्तवन
जय कमला हे महालक्ष्मी जय, सकल जगत माता सुखदाई
रत्न मुकुट मस्तक पर राजै, चन्द्रहार गल शोभा पाई
कानन में कुंडल, कर कंकण, पग नूपुर झँकार सुहाई
गरुड़ चढ़ी हरि संग विराजे, शेषनाग तन सेज बिछाई
‘ब्रह्मानंद’ करे जो सुमिरन, सुख संपति हो जाय सवाई