श्री हनुमान स्तवनजय
जयति मारुति वीर जय शंकर सुवन हनुमान जय
असीम बल के धाम हो, कलि कुमति का हरते हो भय
उद्धार दीनों का किया, निर्बल जनों को बल दिया
तेरी शरण में जो गया, भव-ताप से वह बच गया
तुम शक्ति के आधार हो, बल ज्ञान के आकार हो
तुम राम के वर दूत हो, तुम आँजनेय सपूत हो
कलिकाल के भगवान हो, मेरे विकारों को हरो
तुम दुःखी जन के प्राण हो, मम पाप पुंज शमन करो