रूप छटा
जय जय ब्रजराज-कुँवर, राधा मन-हारी
मुरलीधर मधुर अधर, जमुना तट चारी
नील बरन पीत वसन, संग ग्वाल गोपीजन
मुनिमन हर, मंद हँसन, गुंज-माल धारी
निरतत नटवर सुवेष, सोहै सिर मोर-मुकुट
हरत मदन मद असेस, गोपी-सुख-कारी
रूप छटा
जय जय ब्रजराज-कुँवर, राधा मन-हारी
मुरलीधर मधुर अधर, जमुना तट चारी
नील बरन पीत वसन, संग ग्वाल गोपीजन
मुनिमन हर, मंद हँसन, गुंज-माल धारी
निरतत नटवर सुवेष, सोहै सिर मोर-मुकुट
हरत मदन मद असेस, गोपी-सुख-कारी