श्री जानकी स्तुति
जननि जानकी! जड़ जीवनि ढिँग च्यौं तुम आयीं
च्यौं अति करुनामयी दुखद लीला दरसायीं
तब करुना के पात्र अज्ञ, जड़ जीव नहीं माँ
करुनावश ह्वै जगत हेतु, अति विपति सहीं माँ
हाय! कहाँ अति मृदुल पद, कहँ कंकड़युत पथ विकट
ह्वैकें अति प्रिय राम की, रहि न सकीं तिनके निकट