नश्वर जीवन
जगत् में जीवन कुछ दिन का
देह मिली मानव की प्रभु से कर न गर्व इसका
सदुपयोग तूँ कर विवेक का, मत कर तूँ मन का
काल बली माथे पर नाचे, पता नहीं छिन का
राम नाम के दो अक्षर में, सब सुख शांति समाई
राम नाम भजले मनवा तूँ, भवसागर तर जाई
राम नाम जप, साधु संत ने प्रभु से करी सगाई
गणिका गिद्ध, अजामिल तारे, नाम की यही बड़ाई