नश्वर जीवन
जगत में जीवन के दिन चार
मिला विवेक प्रभु से हमको, इसका करो विचार
फँस मत जाना यहाँ मोह में, सभी कपट व्यवहार
किसका तूँ है कौन तुम्हारा, स्वार्थ पूर्ण संसार
मानव तन दुर्लभ दुनिया में, कर सेवा उपकार
प्रभु से प्रीति लगाले प्यारे, नहीं करें भव-पार