प्रभाती
जागहु लाल ग्वाल सब टेरत
कबहुँ पीत-पट डारि बदन पर, कबहुँ उघारि जननि तन हेरत
सोवत में जागत मनमोहन, बात सुनत सब की अवसेरत
बारम्बार जगावति माता, लोचन खोलि पलक पुनि गेरत
पुनि कहि उठी जसोदा मैया, उठहु कान्ह रवि किरनि उजेरत
‘सूर’ स्याम हँसि चितै मातु-मुख, पट कर लै, पुनि-पुनि मुख फेरत