गौ माता
गो माता भी दूध पिलाती, जैसे अपनी माता
दधि मक्खन अरु घृत भी पाते, कौन भूल यह पाता
कृषि कार्य के हेतु हमें यह, नित्य खाद भी देती
उपकारों को भूल रहे हम, पोषण गैया करती
भारत में गोपाल-कृष्ण ने, पूजा तुमको माता
इसी देश में तेरा माता, आज न कोई त्राता
कत्ल तुम्हारा होता रहता, रोक न कोई पाते
दुर्गति उनकी तो निश्चित ही, जो भी तुम्हें सताते
राम कृष्ण के देशवासियों, निज कर्तव्य निभाओ
बाल्यकाल से जिसने पोषा, उसके प्राण बचाओ