बालकृष्ण
घुटनों के बल चले कन्हैया
बार-बार किलकारी मारे, आनन्दित हो मैया
नवनीत कर में लिये कन्हाई, मुँह पर दही लगाये
मणिमय आँगन में परछार्इं, निरख निरख हर्षाये
तभी गोपियाँ गोदी लेकर, उन्हें चूमना चाहें
बालकृष्ण की अतिप्रिय लीला, अपना भाग्य सराहें