होली
फाग खेलन को आये श्याम
मुग्ध हुई ब्रज-वनिता निरखत, माधव रूप ललाम
पीत वसन भूषण अंगो पर , सचमुच सबहिं सुहाये
तभी श्याम के संग सखा सब, अबीर-गुलाल उड़ाये
सखियों ने घेरा मोहन को, केसर रंग लगाया
चौवा चंदन और अरगजा, भर भर मूठ चलाया
रीझ रहीं सखियाँ मोहन पर, मन भर आनंद आया
मनमोहन ने मुसका करके, अद्भुत रस सरसाया