बालकृष्ण चरित
धन्य सखी सुनो जसोदा मैया
घुँटुरन चलत बालकृष्ण अति कोमल नन्हें पैया
मनमोहन को रूप रसीलो, गोपीजन मन भावत
बारंबार कमल मुख निरखत, नंदालय सब आवत
किलकि किलकि हुलसत है लालन, भगत बछल मनरंजन
देत असीस सबहि गोपीजन, चिरजीवो दुख-भंजन
बालकृष्ण चरित
धन्य सखी सुनो जसोदा मैया
घुँटुरन चलत बालकृष्ण अति कोमल नन्हें पैया
मनमोहन को रूप रसीलो, गोपीजन मन भावत
बारंबार कमल मुख निरखत, नंदालय सब आवत
किलकि किलकि हुलसत है लालन, भगत बछल मनरंजन
देत असीस सबहि गोपीजन, चिरजीवो दुख-भंजन