प्रभाती
चलोरी सखि, नन्द भवन को जायें
मिले श्याम सुन्दर का दर्शन, जीवन की निधि पायें
प्रातः काल भयो सखि माँ लाला को रही जगाये
उबटन लगा लाल को मैया, अब उसको नहलाये
स्नेह भाव जसुमति के मन में, नवनीत उसे खिलाये
केश सँवार नयन में काजल, माथे तिलक लगाये
रेशम को जामा पहनाकर, स्नेह से उसे सजाये
कटि करधनी पैंजनी रुनझुन, लाला के मन भाये
किलकारी की मधुर ध्वनि सुन, माँ प्रसन्न हो जाये
भाग्यवान सखि गोकुलवासी, बालकृष्ण को पाये