कालिंदी कूल
चलो मन कालिन्दी के तीर
दरशन मिले श्यामसुन्दर को, हरे हिये की पीर
तरु कदम्ब के नीचे ठाड़े, कूजत कोयल कीर
अधर धरे मुरली नट-नागर, ग्वाल बाल की भीर
मोर-मुकुट बैजंती माला, श्रवणन् लटकत हीर
मन्द मन्द मुस्कान मनोहर, कटि सुनहरो चीर
रास विलास करे मनमोहन, मन्थर बहे समीर
शोभित है श्री राधा-माधव, पावन यमुना नीर