गणगौर पूजन
छबीली राधे पूजे री गणगौर
ललितादिक सब सखियाँ पहुँची वृषभान की पौर
पारबती शिवजी को पूजन, श्याम सुन्दर मन मोर
सघन कुंज, वृन्दावन अनुपम मिलि गयौ नंद-किसोर
‘नंददास’ प्रभु आय अचानक, घेरी लियो चहुँ ओर  

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