होली
बिरज में होरी खेलत नँदलाल
ढोलक झाँझ मँजीरा बाजत, सब सखियाँ मिल होरी गावत,
नाचत दे दे ताल
भर भरके पिचकारी मारत, भीजत है ब्रज के नर नारी,
मुग्ध भई ब्रज-बाल
धरती लाल, लाल भयो अम्बर, लाल राधिका, लालहि नटवर,
उड़त अबीर गुलाल
होरी खेलत है कुँवर कन्हाई, जमुना तट पर धूम मचाई,
क्रीड़ा करत गुपाल