श्रीराधाकृष्ण स्तुति
भज मन श्री राधे गोपाल
स्निग्ध कपोल, अधर-बिंबाफल लोचन परम विशाल
शुक-नासा, भौं दूज-चन्द्र-सम, अति सुंदर है भाल
मुकुट चंद्रिका शीश लसत है, घूँघर वाले बाल
रत्न जटित, कुंडल, कर-कंगन, गल मोतियन की माल
पग नूपुर-मणि-खचित बजत जब, चलत हंस गति चाल
गौर श्याम तनु वसन अमोलक, चंचल नयन विशाल
मृदु मुसकान मनोहर चितवन, गावत गीत रसाल
जिनका ध्यान किये सुख उपजे, दूर होत जंजाल
‘नारायण’ वा छबि को निरखत, पुनि पुनि होत निहाल