भाई दूज
भाई दूज बल मोहन दोऊ, बहन सुभद्रा के घर आये
विविध भाँति श्रृंगार कियो पट भूषण बहुत सुहाये
अति प्रसन्न हो भोजन परसे, भाई के मन भाये
तत्पश्चात् तिलक बीड़ा दे, बहन अधिक सुख पाये
श्रीफल और मिठाई से भाई की गोद भराई
‘रामदास’ प्रभु तुम चिर-जीवौ, दे अशीष हरषाई