नश्वर देह
बंगला भला बना महाराज, जिसमें नारायण बोले
पाँच तत्व की र्इंट बनाई, तीन गुणों का गारा
छत्तीसों की छत बनाई, चेतन चिनने हारा
इस बँगले के दस दरवाजे, बीच पवन का थम्भा
आवत जावत कछू ना दीखे, ये ही बड़ा अचम्भा
इस बँगले में चौपड़ माँडी, खेले पाँच पचीसा
कोर्ई तो बाजी हार चला है, कोई चला जुग जीता
इस बँगले में पातर नाचे, मनुवा ताल बजाये
निरत सुरत के पहन घुँघरू, राग छत्तीसों गाये
कहे ‘मछन्दर’ सुन ले गोरख, जिन यह बँगला गाया
इस बंगले का गाने वाला, फेर जनम नहिं पाया