विमल बुद्धिबना
दो विमल बुद्धि भगवान्
तर्कजाल सारा ही हर लो, हरो द्वेष अभिमान
हरो मोह, माया, ममता, मद, मत्सर, अपना जान
कलुष काम-मति, कुमति हरो हरि, हरो त्वरित अज्ञान
दम्भ, दोष, दुर्नीति हरण कर, करो सरलता दान
भरदो हृदय भक्ति-श्रद्धा से, करो प्रेम का दान
Beautiful lines….. i love this bhajan sung by jain
Indeed! Its delightful!