शरणागति
अबकी हमारी, लाज राखो गिरिधारी
जैसी लाज राखी अर्जुन की, भारत-युद्ध मँझारी
सारथि होके रथ को हाँक्यो, चक्र सुदर्शन धारी
भक्त की टेक न टारी
जैसी लाज राखी द्रोपदी की, होन न दीनि उघारी
खेंचत खेंचत दोउ भुज थाके, दुःशासन पचि हारी
चीर बढ़ायो मुरारी
सूरदास की लज्जा राखो, अब को है रखवारी
राधे राधे श्रीवर प्यारी, श्री वृषभानु-दुलारी
शरण मैं आयो तिहारी
प्रार्थना है ये भजन
एक पुकार है ये भजन
लाज राखो गिरधारी
What a beautiful and humbling pleading.