महर्षि व्यास
आषाढ़ मास की पूनम थी, तब व्यास देव का जन्म हुआ
वेदों के मंत्रों, सूक्तों को, संहिता रूप से पिरो दिया
पुराण अठारह उप-पुराण में, वेदों का विस्तार किया
महाभारत द्वारा भारत का, सांस्कृतिक कोष निर्माण किया
साहित्य समृद्ध इतना उनका, गुरु पद से उनको मान दिया
भगवान व्यास के हम कृतज्ञ, उनको पूजें कर्त्तव्य हुआ
भारतीय संस्कृति दर्शन का, भण्डार हमें उपलब्ध हुआ