Jiwan Ko Vyartha Ganwaya Hai
चेतावनी जीवन को व्यर्थ गँवाया है मिथ्या माया जाल जगत में, फिर भी क्यों भरमाया है मारी चोंच तो रुई उड़ गई, मन में तूँ पछताया है यह मन बसी मूर्खता कैसी, मोह जाल मन भाया है कहे ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, मनुज जन्म जो पाया है
Din Vyartha Hi Bite Jate Hain
चेतावनी दिन व्यर्थ ही बीते जाते हैं जिसने मानव तन हमें दिया, उन करुणा निधि को भुला दिया जीवन की संध्या वेला में हम ऐसे ही पछताते हैं घर पुत्र मित्र हे भाई मेरा, माया में इतना उलझ गया धन हो न पास, जर्जर शरीर, ये कोई काम न आते हैं दुनियादारी गोरख धंधा, आकण्ठ […]