Saras Ras Hai Vrindavan Main
श्री वृन्दावन सरस रस है वृन्दावन में ग्यान ध्यान को मान न, रति-रस सरसत जन मन में राधे राधे-कहहिं लग्यौ मन, राधा जीवन में सबही को है सहज भाव, निजता को मोहन में ललन-लली की लाली ही तो, छाई कन कन में गोपी गोप मनहुँ प्रगटे नर-नारिन के तन में प्रिय को नित्य विहार प्रिया […]
Vrindavan Kunj Bhawan
नाचत गिरधारी वृंदावन कुंज भवन, नाचत गिरिधारी धर-धर धर मुरलि अधर, भर-भर स्वर मधुर अधर कर-कर नटवर स्वरूप, सुंदर सुखकारी घन-घन घन बजत ताल, ठुम-ठुम ठुम चलत चाल चरणन छन छन छन छन, नूपुर धुन प्यारी घिर, घिर, घिर करत गान, फिर फिर फिर देत तान मिल, मिल, मिल रचत रास, संग गोप नारी चम, […]
Adbhut Shri Vrindavan Dham
वृन्दावन धामअद्भुत श्री वृन्दावन धाम यमुनाजी की धारा बहती, केलि राधिका श्याम मुरली की ध्वनि मधुर गूँजती और नाचते मोर इकटक निरख रहे पशु पक्षी, नटवर नन्द-किशोर बंशी स्वर, मयूर नृत्य में, स्पर्धा रुचिकारी पाँख मोर की निकल पड़ी, तो मोहन सिर पर धारी राधारानी के मयूर की, भेंट मिली कान्हा को इसीलिये सहर्ष श्याम […]
Chalo Man Shri Vrindavan Dham
राधा कृष्ण चलो मन श्री वृन्दावन धाम किसी कुंज या यमुना-तट पे, मिल जायेंगे श्याम सुन्दर छबिमय मोर-मुकुट में, सातो रंग ललाम वही सुनहरे पीत-वसन में, शोभित शोभा-धाम वनमाला के सुमन सुमन में, सुलभ शुद्ध अनुराग और बाँसुरी की सुर-धुन में, राधा का बस राग सुन्दरियों संग रास रमण में, प्रेम ज्योति अभिराम राधा दीखे […]
Dhanya Dhanya Vrindavan Dham
वृन्दावान महिमा धन्य धन्य वृन्दावान धाम राधा के संग क्रीड़ा करते जहाँ नित्य घनश्याम ग्वाल-सखा सँग यमुना तट पे, तरु कदंब की छैंया मुरली मधुर बजाये मोहन, और चराये गैंया इसका जो भी ध्यान लगाये, हर्ष न हृदय समाये छटा वर्णनातीत लाल की, कोई पार न पाये वृन्दावन की पावन रज का, सादर तिलक लगाये […]
Shobhit Shri Vrindavan Dham
श्री वृन्दावन धाम शोभित श्री वृन्दावन धाम यमुनाजी की पावन धारा, क्रीड़ा रत घनश्याम गिरि गोवर्धन पास यहाँ पर, भ्रमण करे गोपाल गौएँ चरतीं, मोर नाचते, मुरली शब्द रसाल मग्न मोर ने पाँख गिराई, सिर पर धरली श्याम राधा रानी के मयूर ने, करी भेंट अभिराम धन्य धन्य अनुपम वृन्दावन, जहाँ गोपियों संग रास रचायो […]
Shri Vrindavan Bhakti Ka
श्री वृन्दावन महिमा श्रीवृन्दावन भक्ति का, अनुपम रसमय धाम महिमा अपरम्पार है, कण कण राधे श्याम वृन्दावन अनुराग का, केन्द्र श्रेष्ठ सुख-वास यमुनाजी के पुलिन पर, श्याम रचाये रास नाम, धाम, लीला सभी, श्रीहरि के ही रूप ब्रज चौरासी कोस में, वृन्दा-विपिन अनूप श्रीवृन्दावन कुंज में, विहरें श्यामा श्याम क्रीड़ा नित नूतन करें, सुखद रूप […]