Vrandavan Ki Mahima Apaar
वृन्दावन महिमा वृन्दावन की महिमा अपार, ऋषि मुनि देव सब गाते हैं यहाँ फल फूलों से लदे वृक्ष, है विपुल वनस्पति और घास यह गोप गोपियों गौओं का प्यारा नैसर्गिक सुख निवास अपने मुख से श्रीकृष्ण यहाँ, बंशी में भरते मीठा स्वर तो देव देवियाँ नर नारी, आलाप सुनें तन्मय होकर सब गोपीजन को संग […]
Vrandavan Saghan Kunj
युगल विहार वृन्दावन सघन कुंज माधुरी द्रुम भँवर गुंज नित विहार प्रिया प्रीतम, देखिबौई कीजै गौर श्याम युगल वर्ण, सुन्दर अति चित्त चोर निरखि निरखि रूप सुधा, नैनन भर पीजै सखियन संग करत गान, सारँग सुर लेत तान मंद मंद मधुर मधुर, सुनि सुनि सुख लीजै
Vrandavan Se Uddhav Aaye
उद्धव की वापसी वृंदावन से उद्धव आये श्यामसुँदर को गोपीजन के मन की व्यथा सुनाये कहा एक दिन ‘राधारानी बोलीं श्याम सुजान बिना दरस मनमोहन के, ये निकले क्यों नहिं प्रान’ इसी भाँति बिलखत दिन जाये, निशा नींद नहिं आये जाग रही सपना भी दुर्लभ, दर्शन-प्यास सताये दुख असह्य गोपीजन को भी, करुणा कुछ मन […]