Udho Mohi Braj Bisarat Nahi
ब्रज की याद ऊधौ, मोहिं ब्रज बिसरत नाहीं वृंदावन गोकुल की स्मृति, सघन तृनन की छाहीं प्रात समय माता जसुमति अरु नंद देखि सुख पावत मीठो दधि अरु माखन रोटी, अति हित साथ खवावत गोपी ग्वाल-बाल संग खेलत, सब दिन हँसत सिरात ‘सूरदास’ धनि धनि ब्रजबासी जिनसों हँसत ब्रजनाथ
Udho Karaman Ki Gati Nyari
कर्म की गति ऊधौ करमन की गति न्यारी सब नदियाँ जल भरि-भरि रहियाँ, सागर केहि विधि खारी उज्जवल पंख दिये बगुला को, कोयल केहि गुन कारी सुन्दर नयन मृगा को दीन्हें, वन वन फिरत उजारी मूरख को है राजा कीन्हों, पंडित फिरत भिखारी ‘सूर’ श्याम मिलने की आशा, छिन छिन बीतत भारी
Udho Hot Kaha Samjhaye
हरि की याद ऊधौ! होत कहा समुझाये चित्त चुभी वह साँवरी मूरति, जोग कहाँ तुम लाए पा लागौं कहियो हरिजू सों दरस देहु इक बेर ‘सूरदास’ प्रभु सों विनती करि यहै सुनैयो टेर
Vilag Na Mano Udho Pyare
साँवरिया श्याम विलग न मानों ऊधो प्यारे वह मथुरा काजर की कोठरि जे आवत ते कारे तुम कारे सुफलत सुत कारे, कारे मधुप भँवारे कमलनयन की कौन चलावै, साबहिनि ते अनियारे तातें स्याम भई कालिन्दी, ‘सूर’ स्याम गुन न्यारे
Udho Kahan Sikhvo Yog
मोहन से योग ऊधौ! कहा सिखावौ जोग हमरो नित्य-जोग प्रियतम सौं, होय न पलक बियोग वे ही हमरे मन मति सर्वस, वे ही जीवन प्रान वे ही अंग-अंग में छाये, हमको इसका भान
Udho Braj Ki Yad Satave
ब्रज की याद ऊधो! ब्रज की याद सतावै जसुमति मैया कर कमलन की, माखन रोटी भावै बालपने के सखा ग्वाल, बाल सब भोरे भारे सब कुछ छोड़ मोहिं सुख दीन्हौ, कैसे जाय बिसारे ब्रज-जुवतिन की प्रीति -रीति की, कहा कहौं मैं बात लोक-वेद की तज मरजादा, मो हित नित ललचात आराधिका, नित्य आराध्या, राधा को […]
Udho Vo Sanwari Chavi Ne
विरथ व्यथा उधो वो साँवरी छवि ने, हमारा दिल चुराया है बजाकर बाँसुरी मीठी, सुनाकर गीत गोविन्द ने रचाकर रास कुंजन में, प्रेम हमको लगाया है छोड़ कर के हमें रोती, बसे वो मधुपुरी जाकर खबर भी ली नहीं फिर के, हमें दिल से भुलाया है हमारा हाल जाकर के, सुनाना श्यामसुन्दर को वो ‘ब्रह्मानन्द’ […]
Udho Hamen Na Shyam Viyog
प्रीति की रीति ऊधौ! हमें न श्याम वियोग सदा हृदय में वे ही बसते, अनुपम यह संजोग बाहर भीतर नित्य यहाँ, मनमोहन ही तो छाये बिन सानिध्य श्याम के हम को, कुछ भी नहीं सुहाये तन में, मन में, इस जीवन में, केवल श्याम समाये पल भर भी विलग नहीं वे होते, हमें रोष क्यों […]
Jab Gaye Shyam Mathura Udho
विरह व्यथा जब गये श्याम मथुरा ऊधो, तब से गोकुल को भूल गये यो कहते नन्द यशोदा के, आँखों से आँसू छलक गये वह सुघड़ वेष कटि पीताम्बर, मुख कमल नित्य ही स्मरण करे संग ग्वाल सखा, वंशी वादन, वृन्दावन में लाला विचरे इस तरह नित्य मैया बाबा, सुत स्नेह लहर में थे बहते स्तन […]