Maiya Main To Chand Khilona
कान्हा की हठ मैया, मैं तौ चंद-खिलौना लैहौं जैहौं, लोटि धरनि पर अबहीं, तेरी गोद न ऐहौं सुरभी कौ पे पान न करिहौं, बेनी सिर न गुहैहौं ह्वैहौं पूत नंद बाबा कौ, तेरौ सुत न कहैहौं आगै आउ, बात सुनि मेरी, बलदेवहि न जनैहौं हँसि समुझावति, कहति जसोमति, नई दुल्हनिया दैहौं तेरी सौं, मेरी सुनि […]
Ham To Ek Hi Kar Ke Mana
आत्म ज्ञान हम तो एक ही कर के माना दोऊ कहै ताके दुविधा है, जिन हरि नाम न जाना एक ही पवन एक ही पानी, आतम सब में समाना एक माटी के लाख घड़े है, एक ही तत्व बखाना माया देख के व्यर्थ भुलाना, काहे करे अभिमाना कहे ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, हम हरि हाथ […]
Ham To Nandgaon Ke Vasi
गोकुल की महिमा हम तो नंदग्राम के वासी नाम गोपाल, जाति कुल गोपहिं, गोप-गोपाल उपासी गिरिवरधारी, गोधनचारी, वृन्दावन-अभिलाषी राजा नंद जसोदा रानी, जलधि नदी जमुना सी प्रान हमारे परम मनोहर, कमल नयन सुखरासी ‘सूरदास’ प्रभु कहौ कहाँ लौं, अष्ट महासिधि दासी
Sakhi Ri Main To Rangi Shyam Ke Rang
श्याम का रंग सखी री मैं तो रंगी श्याम के रंग पै अति होत विकल यह मनुआ, होत स्वप्न जब भंग हो नहिं काम-काज ही घर को, करहिं स्वजन सब तंग किन्तु करुँ क्या सहूँ सब सजनी, चढ्यो प्रेम को रंग आली, चढ़ी लाल की लाली, अँग-अँग छयो अनंग स्याममयी हो गई सखी मैं तो, […]
Ab To Nibhayan Saregi Rakh Lo Mhari Laj
शरणागति अब तो निभायाँ सरेगी, रख लो म्हारी लाज प्रभुजी! समरथ शरण तिहारी, सकल सुधारो काज भवसागर संसार प्रबल है, जामे तुम ही जहाज निरालम्ब आधार जगत्-गुरु, तुम बिन होय अकाज जुग जुग भीर हरी भक्तन की, तुम पर उनको नाज ‘मीराँ’ सरण गही चरणन की, पत राखो महाराज
He Sakhi Sun To Vrindawan Main
वृंदावन केलि हे सखि सुन तो वृन्दावन में, बंसी श्याम बजावत है सब साधु संत का दुख हरने, ब्रज में अवतार लिया हरि ने वो ग्वाल-बाल को संग में ले, यमुना-तट धेनु चरावत है सिर मोर-पंख का मुकुट धरे, मकराकृत कुण्डल कानों में वक्षःस्थल पे वनमाल धरे, कटि में पट पीत सुहावत है वृन्दावन में […]
Ab To Hari Nam Lo Lagi
चैतन्य महाप्रभु अब तो हरी नाम लौ लागी सब जग को यह माखन चोरा, नाम धर्यो बैरागी कित छोड़ी वह मोहक मुरली, कित छोड़ी सब गोपी मूँड मुँडाई डोरी कटि बाँधी, माथे मोहन टोपी मात जसोमति माखन कारन, बाँधे जाके पाँव श्याम किसोर भयो नव गौरा, चैतन्य जाको नाँव पीताम्बर को भाव दिखावे, कटि कोपीन […]
Itna To Karna Swami Jab Pran Tan Se Nikale
विनती इतना तो करना स्वामी, जब प्राण तन से निकले गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से निकले श्री यमुनाजी का तट हो, स्थान वंशी-वट हो मेरा साँवरा निकट हो, जब प्राण तन से निकलें श्री वृन्दावन का थल हो, मेरे मुख में तुलसी दल हो विष्णु-चरण का जल हो, जब प्राण तन से निकलें […]
Aeri Main To Darad Diwani
विरह व्यथा ऐरी मैं तो दरद दिवानी, मेरो दरद न जाने कोय घायल की गति घायल जाने, जो कोई घायल होय जोहरी की गति जोहरी जाने, जो कोई जोहरी होय सूली ऊपर सेज हमारी, सोवण किस विध होय गगन मँडल पर सेज पिया की, किस विध मिलणा होय दरद की मारी बन-बन डोलूँ, वैद मिल्यो […]
Kutiya Par Raghav Aaye To Shabari
शबरी का प्रेम कुटिया पर राघव आये तो, शबरी की साधना पूर्ण हुई तन मन की सुधि वह भूल गई, प्रभु के चरणों में लिपट गई आसन देकर वह रघुवर को, छबड़ी में बेरों को लाई चख चख कर मीठे बेर तभी, राघव को दे मन हर्षाई यह स्नेह देख कर शबरी का, निज माँ […]