Chalo Re Man Jamna Ji Ke Tir
यमुना का तीर चलो रे मन जमनाजी के तीर जमनाजी को निरमल पाणी, सीतल होत शरीर बंसी बजावत गावत कान्हो, संग लिये बलबीर मोर मुकुट पीताम्बर सोहे, कुण्डल झलकत हीर मीराँ के प्रभु गिरिधर नागर, चरण-कँवल पर सीर
Chalo Man Kalindi Ke Tir
कालिंदी कूल चलो मन कालिन्दी के तीर दरशन मिले श्यामसुन्दर को, हरे हिये की पीर तरु कदम्ब के नीचे ठाड़े, कूजत कोयल कीर अधर धरे मुरली नट-नागर, ग्वाल बाल की भीर मोर-मुकुट बैजंती माला, श्रवणन् लटकत हीर मन्द मन्द मुस्कान मनोहर, कटि सुनहरो चीर रास विलास करे मनमोहन, मन्थर बहे समीर शोभित है श्री राधा-माधव, […]