Thumak Chalat Ram Chandra
शिशु राम ठुमक चलत रामचन्द्र, बाजत पैजनियाँ किलक किलक उठत धाय, गिरत भूमि लटपटाय धाय मातु गोद लेत, दशरथ की रनियाँ अंचल-रज अंग जाकि, विविध भाँति सों दुलारि तन-मन-धन वारि-वारि, कहत मृदु वचनियाँ ‘तुलसीदास’ अति अनन्द देखि के मुखारविन्द रघुवर की छबि समान, रघुवर की बनियाँ