Prabhu Tero Vachanbharoso Sancho
भक्त-वत्सलता प्रभु तेरो वचन भरोसो साँचो पोषन भरन विसंभर स्वामी, जो कलपै सो काँचौ जब गजराज ग्राह सौं अटक्यौ, बली बहुत दुख पायौ नाम लेट ताही छन हरिजू, गरुड़हि छाँड़ि छुड़ायौ दुःशासन जब गही द्रौपदी, तब तिहिं वसन बढ़ायौ ‘सूरदास’ प्रभु भक्त बछल हैं, चरन सरन हौं आयौ
Rani Tero Chir Jivo Gopal
चिरजीवो गोपाल रानी तेरो चिरजीवो गोपाल बेगि बढ्यो बड़ी होय बिरध लट, महरी मनोहर बाल, उपजि पर्यो यह कूखि भाग्यबल, समुद्र सीप जैसे लाल सब गोकुल के प्राण जीवनधर, बैरन के उर साल ‘सूर’ किते जिय सुख पावत है, देखत श्याम तमाल राज अंजन लागो मेरी अँखियन, मिटे दोष जंजाल
Jasoda Tero Bhagya Kahyo Na Jay
यशोदा का भाग्य जसोदा तेरो भाग्य कह्यो ना जाय जो मूरति ब्रह्मादिक दुर्लभ, सो ही प्रगटी आय शिव, नारद, सनकादिक, महामुनि मिलवे करत उपाय जे नंदलाल धूरि धूसर वपु, रहत कंठ लपटाय रतन जटित पौढ़ाय पालने, वदन देखि मुसकाय बलिहारी मैं जाऊँ लाल पे, ‘परमानंद’ जस गाय
Bharoso Bas Tero Giridhari
भक्त के भगवान भरोसो बस तेरो गिरिधारि मघवा प्रेरित घनी वृष्टि से, ब्रज को लियो उबारी अम्बरीष, प्रहलाद, विभीषण, ध्रुव के प्रभु रखवारी पार्थ-सारथी, पाण्डुवंश की, घोर विपत्ति निवारी शर-शय्या पे गंगा-सुत को दर्शन दियो मुरारी गज को ग्राह ग्रस्यो जल भीतर, कष्ट हर्यो बनवारी नहीं दीखती किरण आस की, घिरी रात अँधियारी श्याम पतित […]