Mamta Tu N Gai Mere Man Te
वृद्ध अवस्था ममता तू न गई मेरे मन तें पाके केस जनम के साथी, लाज गई लोकन तें तन थाके कर कंपन लागे, ज्योति गई नैनन तें श्रवण वचन न सुनत काहू के, बल गये सब इन्द्रिन तें टूटे दाँत वचन नहिं आवत, सोभा गई मुखन तें भाई बंधु सब परम पियारे, नारि निकारत घर […]
Gwalin Kar Te Kor Chudawat
बालकृष्ण लीला ग्वालिन कर ते कौर छुड़ावत झूठो लेत सबनि के मुख कौ, अपने मुख लै नावत षट-रस के पकवान धरे बहु, तामें रूचि नहिं पावत हा हा करि करि माँग लेत हैं, कहत मोहि अति भावत यह महिमा वे ही जन जानैं, जाते आप बँधावत ‘सूर’ श्याम सपने नहिं दरसत, मुनिजन ध्यान लगावत
Pati Madhuwan Te Aai
श्याम की पाती पाती मधुवन तै आई ऊधौ हरि के परम सनेही, ताके हाथ पठाई कोउ पढ़ति फिरि फिरि ऊधौ, हमको लिखी कन्हाई बहूरि दई फेरि ऊधौ कौ, तब उन बाँचि सुनाई मन में ध्यान हमारौ राख्यो, ‘सूर’ सदा सुखदाई
Makhan Ki Chori Te Sikhe
चित चोर माखन की चोरी तै सीखे, कारन लगे अब चित की चोरी जाकी दृष्टि परें नँद-नंदन, फिरति सु मोहन के सँग भोरी लोक-लाज, कुल कानि मेटिकैं, बन बन डोलति नवल-किसोरी ‘सूरदास’ प्रभु रसिक सिरोमनि, देखत निगम-बानि भई भोरी
Radha Te Hari Ke Rang Ranchi
अभिन्नता राधा! मैं हरि के रंग राँची तो तैं चतुर और नहिं कोऊ, बात कहौं मैं साँची तैं उन कौ मन नाहिं चुरायौ, ऐसी है तू काँची हरि तेरौ मन अबै चुरायौ, प्रथम तुही है नाची तुम औ’ स्याम एक हो दोऊ, बात याही तो साँची ‘सूर’ श्याम तेरे बस राधा! कहति लीक मैं खाँची
Van Te Aawat Shri Giridhari
वन से वापसी वनतैं आवत श्रीगिरिधारी सबहिं श्रवन दै सुनहु सहेली, बजी बाँसुरी प्यारी धेनु खुरनि की धुरि उड़त नभ, कोलाहल अति भारी गावत गीत ग्वाल सब मिलिकें, नाचत बीच बिहारी मलिन मुखी हम निशि सम नारी, बिनु हरि सदा दुखारी कृष्णचन्द्र ब्रजचन्द्र खिलें नभ, तब हम चन्द्र उजारी मिटै ताप संताप तबहिं जब, दृष्टि […]