Shyam Tan Shyam Man Shyam Hai Hamaro Dhan
प्राण धन श्याम तन, श्याम मन, श्याम है हमारो धन आठो जाम ऊधौ हमें, श्याम ही सो काम है श्याम हिये, श्याम तिये, श्याम बिनु नाहिं जियें आँधे की सी लाकरी, अधार श्याम नाम है श्याम गति, श्याम मति, श्याम ही है प्रानपति श्याम सुखदाई सो भलाई सोभाधाम है ऊधौ तुम भये बौरे, पाती लैकै […]
Kahe Ko Tan Manjta Re Mati Main Mil Jana Hai
सत्संग महिमा काहे को तन माँजता रे, माटी में मिल जाना है एक दिन दूल्हा साथ बराती, बाजत ढोल निसाना है एक दिन तो स्मशान में सोना, सीधे पग हो जाना है सत्संगत अब से ही करले, नाहिं तो फिर पछताना है कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, प्रभु का ध्यान लगाना है
Tan Ki Dhan Ki Kon Badhai
अन्त काल तन की धन की कौन बड़ाई, देखत नैनों में माटी मिलाई अपने खातिर महल बनाया, आपहि जाकर जंगल सोया हाड़ जले जैसे लकरि की मोली, बाल जले जैसे घास की पोली कहत ‘ कबीर’ सुनो मेरे गुनिया, आप मरे पिछे डूबी रे दुनिया
Itna To Karna Swami Jab Pran Tan Se Nikale
विनती इतना तो करना स्वामी, जब प्राण तन से निकले गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से निकले श्री यमुनाजी का तट हो, स्थान वंशी-वट हो मेरा साँवरा निकट हो, जब प्राण तन से निकलें श्री वृन्दावन का थल हो, मेरे मुख में तुलसी दल हो विष्णु-चरण का जल हो, जब प्राण तन से निकलें […]
Kanhaiya Pe Tan Man Lutane Chali
समर्पण कन्हैया पे तन मन लुटाने चली भूल गई जीवन के सपने, भूल गई मैं जग की प्रीति, साँझ सवेरे मैं गाती हूँ, कृष्ण-प्रेम के मीठे गीत अब अपने को खुद ही मिटाने चली, कन्हैया पे तन मन लुटाने चली लिखा नहीं है भाग्य में मिलना, पर मैं मिलने जाती हूँ, दुःख के सागर में […]
Kanhaiya Murali Tan Sunaye
मुरली-माधुरी कन्हैया मुरली तान सुनाये ब्रज बालाओं को गृहस्थ सुख, नहीं तनिक भी भाये दही बिलोना खाना पीना, सभी तभी छुट जाये वेणु-रव चित की वृतियों को, वृन्दावन ले जाये मनमोहक श्रृंगार श्याम का, हृदय-देश में आये धन्य बाँस की बाँसुरिया धर, अधर सरस स्वर गाये
Tan Man Pe Manhar Ne Rang Diyo Dar
होली तन मन पे मनहर ने रंग दियो डार गात सखी पल भर में मेरा भिगोया, चीर दियो फार पीछे से छुपके आये और लियो प्यार मैं क्या से क्या हो गई, वो कुछ न सकी जान नैनो में नैन डाल, लूट लियो प्रान होली फिर गाने लगा, हृदय का तार हाथों में रंग रहा, […]
Tan Man Se Gopiyan Priti Kare
व्यथित गोपियाँ तन मन से गोपियाँ प्रीति करें, यही सोच कर प्रगटे मोहन कटि में पीताम्बर वनमाला और मोर मुकुट भी अति सोहन कमनीय कपोल, मुस्कान मधुर, अद्वितीय रूप मोहन का था उत्तेजित कर तब प्रेम भाव जो परमोज्ज्वल अति पावन था वे कण्ठ लगे उल्लास भरें, श्रीकृष्ण करें क्रीड़ा उनसे वे लगीं सोचने दुनियाँ […]
Tan Rakta Mans Ka Dhancha Hai
चेतावनी तन रक्त माँस का ढाँचा है, जो ढका हुआ है चमड़े से श्रृंगार करे क्या काया का, जो भरी हुई है दुर्गन्धों से खाये पीये कितना बढ़िया, मल-मूत्र वहीं जो बन जाता ऐसे शरीर की रक्षा में, दिन रात परिश्रम है करता मन में जो रही वासनाएँ, वे अन्त समय तक साथ रहें मृत्योपरांत […]
Mat Kar Itana Pyar Tu Tan Se
देह से प्रेम मत कर इतना प्यार तू तन से, नहीं रहेगा तेरा बहुत सँवारा इत्र लगाया, और कहे यह मेरा बढ़िया भोजन नित्य कराया, वस्त्रों का अंबार बचपन, यौवन बीत गया तब, उतरा मद का भार पति, पत्नी-बच्चों तक सीमित था तेरा संसार स्वारथ के साथी जिन पर ही, लूटा रहा सब प्यार सब […]