Tu So Raha Ab Tak Musafir
चेतावनी तूँ सो रहा अब तक मुसाफिर, जागता है क्यों नहीं था व्यस्त कारोबार में,अब भोग में खोया कहीं मोहवश जैसे पतिंगा, दीपक की लौ में जल मरे मतिमान तूँ घर बार में फिर, प्रीति इतनी क्यों करे लालच में पड़ता कीर ज्यों, पिंजरे में उसका हाल ज्यों फिर भी उलझता जा रहा, संसार माया […]