Dou Sut Gokul Nayak Mere
वियोग दोउ सुत गोकुल नायक मेरे काहे नंद छाँड़ि तुम आये, प्रान जीवन सबके रे तिनके जात बहुत दुख पायो, शोक भयो ब्रज में रे गोसुत गाय फिरत चहूँ दिसि में, करे चरित नहिं थोरे प्रीति न करी राम दसरथ की, प्रान तजे बिन हेरे ‘सूर’ नन्द सों कहति जसोदा, प्रबल पाप सब मेरे
Nand Gharni Sut Bhalo Padhayo
बाल क्रीड़ा नंद-घरनि! सुत भलौ पढ़ायौ ब्रज-बीथिनि पुर-गलिनि, घरै घर, घात-बाट सब सोर मचायौ लरिकनि मारि भजत काहू के, काहू कौ दधि –दूध लुटायौ काहू कैं घर में छिपि जाये, मैं ज्यों-त्यों करि पकरन पायौ अब तौ इन्हें जकरि के बाँधौ, इहिं सब तुम्हरौ गाँव भगायौ ‘सूर’ श्याम-भुज गहि नँदरानी, बहुरि कान्ह ने खेल रचायौ
Ve Hain Rohini Sut Ram
श्री बलरामजी वे हैं रोहिनी सुत राम गौर अंग सुरंग लोचन, प्रलय जिन के ताम एक कुंडल स्रवन धारी, द्यौत दरसी ग्राम नील अंबर अंग धारी, स्याम पूरन काम ताल बल इन बच्छ मार्यौ, ब्रह्म पूरन काम ‘सूर’ प्रभु आकरषि, तातैं संकरषन है नाम
Sut Mukh Dekhi Jasoda Phuli
यशोदा का स्नेह सुत-मुख देखि जसोदा फूली हरषित देखि दूध की दंतुली, प्रेम-मगन तन की सुधि भूली बाहिर तें तब नन्द बुलाए, देखौं धौ सुन्दर सुखदाई तनक-तनक-सी दूध दँतुलियाँ, देखौ, नैन सफल कारौं आई आनँद सहित महर तब आये, मुख चितवत दोउ नैन अघाई ‘सूर’ स्याम किलकत द्विज देखे, लगै कमल पे बिज्जु छाई