Suni Sundar Ben Sudharas Sane
सुभाषित सुनि सुन्दर बैन सुधारस-साने, सयानी है जानकी जानी भली तिरछे करि नैन दै सैन तिन्हैं, समुझाई कछु मुसुकाई चली ‘तुलसी’ तेहि अवसर सोहैं सबै, अवलोकति लोचन-लाहु अली अनुराग-तड़ाग में भानु उदै, बिगसी मनी मंजुल कंज-कली
Rath Par Rajat Sundar Jori
रथयात्रा रथ पर राजत सुन्दर जोरी श्री घनश्याम लाड़िलो सुन्दर, श्रीराधाजू गोरी चपल तुरंत चलत धरणी पर, भयो कुलाहल भारी आस पास युवतीजन गावत, देत परस्पर तारी व्योम विमान भीर भई सुर-मुनि, जय जय शब्द उचारी ‘सूरदास’ गोकुल के वासी, बानिक पर बलिहारी
Sundar Shyam Piya Ki Jori
राधा-कृष्ण माधुरी सुन्दर स्याम पिया की जोरी रोम रोम सुंदरता निरखत, आनँद उमँग बह्योरी वे मधुकर ए कुंज कली, वे चतुर एहू नहिं भोरी प्रीति परस्पर करि दोउ सुख, बात जतन की जोरी वृंदावन वे, सिसु तमाल ए, कनक लता सी गोरी ‘सूर’ किसोर नवल नागर ए, नागरि नवल-किसोरी
Sundar Shyam Sakha Sab Sundar
सुंदर श्याम सुंदर स्याम सखा सब सुंदर, सुंदर वेष धरैं गोपाल सुंदर पथ सुंदर गति आवन, सुंदर मुरली शब्द रसाल सुंदर लोक, सकल ब्रज सुंदर, सुंदर हलधर, सुंदर चाल सुंदर वचन विलोकनि सुंदर, सुंदरि गन सब करति विचार ‘सूर’ स्याम को संग सुख सुंदर, सुंदर भक्त हेतु अवतार
Mere Ghar Aao Sundar Shyam
विरह व्यथा मेरे घर आवो सुन्दर श्याम तुम आया बिन सुख नहीं मेरे, पीरी परी जैसे पान मेरे आसा और न स्वामी, एक तिहारो ही ध्यान ‘मीराँ’ के प्रभु वेग मिलो अब, राखोजी मेरो मान
Pran Dhan Sundar Shyam Sujan
दर्शन की प्यास प्रानधन! सुन्दर श्याम सुजान छटपटात तुम बिना दिवस निसि, पड़ी तुम्हारी बान कलपत विलपत ही दिन बीतत, निसा नींद नहिं आवै स्वप्न दरसहू भयौ असंभव, कैसे मन सचु पावै अब मत देर करो मनमोहन, दया नैकु हिय धारौ सरस सुधामय दरशन दै निज, उर को ताप निवारौ
Aaj Sakhi Shyam Sundar
मुरली का जादू आज सखी श्याम सुंदर बाँसुरी बजाये मोर-मुकुट तिलक भाल, पग में नूपुर सुहाये बिम्बाधर मुरलीधर, मधुर धुन सुनाये यमुना को रुकत नीर, पक्षीगण मौन भये धेनू मुख घास डार, धुनि में मन लाये त्रिभुवन में गूँज उठी, मुरली की मधुर तान समाधि भी गई टूट, योगी मन भाये बंशी-स्वर सुन अपार, भूले […]
Dudh Piwat Shyam Sundar
दुग्ध सेवा दूध पीवत श्याम सुन्दर, प्राण प्यारी साथ कनक प्यालो दूध को भर, दियो ललिता हाथ पुलकित हो पीवत दोऊ, मुग्ध अति सुहात लाड़िली और लाल मोहन, हँसत नहीं अघात स्याम स्यामा की-छबि पे गोपियाँ बलि जात
Prabhu Ki Kaisi Sundar Riti
करुणामय प्रभु प्रभु की कैसी सुन्दर रीति विरुद निभाने के कारण ही पापीजन से प्रीति गई मारने बालकृष्ण को, स्तन पे जहर लगाया उसी पूतना को शुभगति दी, श्लाघनीय फल पाया सुने दुर्वचन शिशुपाल के, द्वेषयुक्त जो मन था लीन किया उसको अपने में, अनुग्रह तभी किया था हरि चरणों में मूर्ख व्याध ने, भूल […]
Bhajo Man Nish Din Shyam Sundar
नाम-स्मरण भजो मन निश-दिन श्यामसुन्दर, सुख-सागर भजो श्री राधावर सकल जगत् के जीवन-धन प्रभु करत कृपा अपने भक्तों पर ब्रज सुन्दरियों से सेवित जो, नव नीरद सम वर्ण मनोहर त्रिभुवन-मोहन वेष विभूषित, शोभा अतुलित कोटि काम हर तरु कदम्ब तल यमुना तट पे, मुरली में भरते मीठा स्वर चरण-कमल में नूपुर बाजत, कटि धारे स्वर्णिम […]