Din Dukhi Bhai Bahano Ki Seva Kar Lo Man Se
जनसेवा दीन दुःखी भाई बहनों की सेवा कर लो मन से प्रत्युपकार कभी मत चाहो, आशा करो न उनसे गुप्त रूप से सेवा उत्तम, प्रकट न हो उपकार बनो कृतज्ञ उसी के जिसने, सेवा की स्वीकार अपना परिचय उसे न देना, सेवा जिसकी होए सेवा हो कर्तव्य समझ कर, फ लासक्ति नहीं होए परहित कर्म […]
Shrimad Bhagawat Ki Dhwani Hi Se
श्रीमद्भागवत् महिमा श्रीमद्भागवत् की ध्वनि ही से, सब दोष नष्ट हो जाते हैं यह वासुदेव वाङ्मय स्वरूप, इसका दर्शन नित सेवन हो फलरूप वेद-उपनिषद् का ये, दुख शोक नाश यह करता है सर्वोच्च है सभी पुराणों में, इसकी महिमा का पार नहीं रसपूर्ण कथा आयोजित हो, वहाँ भक्ति देवि आ जाती है भगवान् कृष्ण की […]
Dhan Sanchay Se Dukhi Hote
धन संचय धन संचय से दुःखी होते दूजों को वंचित करके ही हम धन की वृद्धि कर पाते हम स्वामी उतने ही धन के जिससे कि गुजारा हो जाये ज्यादा धन को अपना माने, वह व्यक्ति चोर ही कहलाये परिवार में धन के कारण ही आपस में बँटवारा होता ज्यादा धन से सुख मिलता है, […]
Sab Se Bada Dharma Ka Bal Hai
धर्म निष्ठा सबसे बड़ा धर्म का बल है वह पूजनीय जिसको यह बल, जीवन उसका ही सार्थक है ऐश्वर्य, बुद्धि, विद्या, धन का, बल होता प्रायः लोगों को चाहे शक्तिमान या सुन्दर हो, होता है अहंकार उसको इन सबसे श्रेष्ठ धर्म का बल, भवसागर से जो पार करे जिस ओर रहे भगवान् कृष्ण, निश्चय ही […]
Bharat Bhai Kapi Se Urin Ham Nahi
कृतज्ञता भरत भाई कपि से उऋण हम नाहीं सौ योजन मर्याद सिन्धु की, लाँघि गयो क्षण माँही लंका-जारि सिया सुधि लायो, गर्व नहीं मन माँही शक्तिबाण लग्यो लछमन के, शोर भयो दल माँही द्रोणगिरि पर्वत ले आयो, भोर होन नहीं पाई अहिरावण की भुजा उखारी, पैठि गयो मठ माँही जो भैया, हनुमत नहीं होते, को […]
Nav Se Kar Do Ganga Paar
केवट का मनोभाव नाव से कर दो गंगा पार भाग्यवान् मैं हूँ निषाद प्रभु लेऊ चरण पखार जब प्रभु देने लगे मुद्रिका जो केवट का नेग बोला केवट प्रभु दोनों की जाति ही भी तो एक चरण कमल के आश्रित हूँ प्रभु करो न लोकाचार भवसागर के आप हो केवट करना मुझको पार
Jab Se Mohi Nand Nandan Drashti Padyo Mai
मोहन की मोहिनी जब से मोहि नँद नंदन, दृष्टि पड्यो माई कहा कहूँ या अनुपम छवि, वरणी नहीं जाई मोरन की चन्द्रकला शीश मुकुट सोहे केसर को तिलक भाल तीन लोक मोहे कुण्डल की झलक तो, कपोलन पर छाई मानो मीन सरवर तजि, मकर मिलन आई कुटिल भृकुटि तिलक भाल, चितवन में टौना खंजन अरु […]
Nishkam Karma Se Shanti Mile
निष्काम कर्म निष्काम कर्म से शान्ति मिले जीवन में चाहों के कारण, केवल अशांति मन छायेगी सुख शांति सुलभ निश्चित, संतृप्ति भाव मन में होगी सम्मान प्राप्ति का भाव रहे, तो कुण्ठाएँ पैदा होगी संयम बरते इच्छाओं पर, मन में न निराशा तब होगी स्वाभाविक जो भी कर्म करें, फल की इच्छा न रखें मन […]
Prabhu Ji The To Chala Gaya Mhara Se Prit Lagay
पविरह व्यथा प्रभुजी थें तो चला गया, म्हारा से प्रीत लगाय छोड़ गया बिस्वास हिय में, प्रेम की बाती जलाय विरह जलधि में छोड़ गया थें, नेह की नाव चलाय ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, तुम बिन रह्यो न जाय
Prabhu Se Jo Sachcha Prem Kare
हरि-भक्ति प्रभु से जो सच्चा प्रेम करे, भव-सागर को तर जाते हैं हरिकथा कीर्तन भक्ति करे, अर्पण कर दे सर्वस्व उन्हें हम एक-निष्ठ उनके प्रति हों, प्रभु परम मित्र हो जाते हैं लाक्षागृह हो या चीर-हरण, या युद्ध महाभारत का हो पाण्डव ने उनसे प्रेम किया, वे उनका काम बनाते है हो सख्य-भाव उनसे अपना, […]