Prabhu Ki Satta Hai Kahan Nahi
सर्व शक्तिमान् प्रभु की सत्ता है कहाँ नहीं घट घट वासी, जड़ चेतन में, वे सर्व रूप हैं सत्य सही प्रतिक्षण संसार बदलता है, फिर भी उसमें जो रम जाये जो नित्य प्राप्त परमात्म तत्व, उसका अनुभव नहीं हो पाये स्थित तो प्रभु हैं कहाँ नहीं, पर आवृत बुद्धि हमारी है मन, बुद्धि, इन्द्रियों से […]
Sarvatra Bramh Ki Satta Hi
ब्रह्ममय जगत् सर्वत्र ब्रह्म की सत्ता ही यह जगत् जीव के ही सदृश, है अंश ब्रह्म का बात यही माया विशिष्ट हो ब्रह्म जभी, तब वह ईश्वर कहलाता है ईश्वर, निमित्त व उपादान से दृश्य जगत् हो जाता है जिस भाँति बीज में अंकुर है, उस भाँति ब्रह्म में जग भी है सो जीव, सृष्टि, […]