Bansiwala Sanwariya Aaja Re

निमंत्रण बंसीवाला साँवरिया आजा रे बिन देखे नहीं चैन पड़त है, चाँद सा मुखड़ा दिखाजा रे मोर मुकुट पीतांबर सोहे, मुरली की टेर सुनाजा रे दधि माखन घर में बहु मेरे, जो चाहे सोइ खाजा रे ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, मोहनी मूरत दिखाजा रे

Thara Darsan Kis Vidh Paaun Sanwariya

दरस लालसा थारा दरसन किस विध पाऊँ साँवरिया, औगुण की मैं खान बाल अवस्था खेल गँवाई, तरुणाई अभिमान यूँ ही जीवन खोय दियो मैं, डूब्यो झूठी शान लग्यो रह्यो स्वारथ में निस दिन, सुख वैभव की बान मात-पिता गुरु से मुख मोड्यो, कियो नहीं सनमान साँच झूठ कर माया जोड़ी थारो कियो न गान साधू-संगत […]