Kou Ya Kanha Ko Samujhawe
नटखट कन्हैया कोउ या कान्हा को समुझावै कैसो यह बेटो जसुमति को, बहुत ही धूम मचावै हम जब जायँ जमुन जल भरिबे घर में यह घुस जावै संग सखा मण्डली को लै यह, गोरस सबहिं लुटावै छींके धरी कमोरी को सखि, लकुटी सो ढुरकावै आपु खाय अरु धरती पर, गोरस की कीच बनावै जब हम […]