Udho Hot Kaha Samjhaye
हरि की याद ऊधौ! होत कहा समुझाये चित्त चुभी वह साँवरी मूरति, जोग कहाँ तुम लाए पा लागौं कहियो हरिजू सों दरस देहु इक बेर ‘सूरदास’ प्रभु सों विनती करि यहै सुनैयो टेर
Dharti Mata Ye Samjhaye
निर्वेद धरती माता यह समझाये जिसको तू अपना है कहता, कुछ भी साथ न जाए मुझको पाने को ही प्यारे तुम, आपस में क्यों लड़ते खोया विवेक जो मिला प्रभु से मिल जुल क्यों नहीं रहते जो महाराजा सम्राट समझते, पृथ्वीपति अपने को हुए मृत्यु के ग्रास अन्त में, अहंकार था जिनको खोद-खोद मुझको जिसने […]