Sakhi Mharo Kanho Kaleje Ki Kor

प्राणनाथ कन्हैया सखी म्हारो कान्हो कलेजे की कोर मोर मुकुट पीतांबर सोहे, कुण्डल की झकझोर वृंदावन की कुञ्ज-गलिन में, नाचत नंदकिशोर ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, चरण-कँवल चितचोर

Sakhi Ye Naina Bahut Bure

प्रीति माधुर्य सखि, ये नैना बहुत बुरे तब सौं भये पराये हरि सो, जबलौं जाई जुरे मोहन के रस बस ह्वै डोलत, जाये न तनिक दुरे मेरी सीख प्रीति सब छाँड़ी, ऐसे ये निगुरे खीझ्यौ बरज्यौ पर ये नाहीं, हठ सो तनिक मुरे सुधा भरे देखत कमलन से, विष के बुझे छुरे  

Sakhi Lala Ke Mukh Pe Makkhan

माखन चोरी सखि लाला के मुँह पे मक्खन, मैंने जब लगा हुआ पाया भोलेपन से कुछ उत्तर दे, चित चुरा कन्हैया भाग गया जिनके घर अब तक नहीं पहुँचा, लाला मक्खन चोरी करने अति उत्कण्ठित वे गोपीजन, आ जाये वहीं उपकृत करने वास्तव में हर ग्वालिन का मन, अटका रहता है मोहन में वे उपालम्भ […]

Sakhi Sapane Mohan Aaye

ब्रज की स्मृति सखि, सपने में मनमोहन आये बड़े दुखी है मथुरा में वे, कोई तो समझाये टप टप आँसू गिरें नयन से, घूम रहे उपवन में नहीं सँभाल पाते अपने को, व्याकुलता है मन में कहते प्राणेश्वरी राधिके, निश दिन रहूँ उदास लोग भले ही कहें यहाँ सुख, झूठ-मूठ विश्वास तेरे बिना एक पल […]

Sakhi Ri Ati Natkhat Nandkishor

नटखट कन्हैया सखी री! अति नटखट नंद-किसोर करत छेड़खानी वह हमसों, सुनत न नैंकु निहोर मैया को अति लाड़-लड़ैतो, भयो बड़ो मुँहजोर घर में पैठि चुरावैं माखन, दैत मटुकिया फोर जमुना-तट जा चीर चुरावै, मग में घट दे तोर ऐसे कौतुक करत तदपि सखि, चलत न मन सों जोर चीर-छीर की कहा चलै इन, लियो […]

Sakhi Ye Badbhagi Hai Mor

बड़भागी नंद यशोदा सखी! ये बड़भागी हैं मोर जेहि पंखन को मुकुट बन्यो है धर लियो नंद किशोर बड़ भागी अति नंद यशोदा, पुण्य किये भर जोर शिव विरंचि नारद मुनि ज्ञानी, ठाड़े हैं कर जोर ‘परमानन्द’ दास को ठाकुर, गोपियन के चितचोर  

Sakhi Ri Main To Rangi Shyam Ke Rang

श्याम का रंग सखी री मैं तो रंगी श्याम के रंग पै अति होत विकल यह मनुआ, होत स्वप्न जब भंग हो नहिं काम-काज ही घर को, करहिं स्वजन सब तंग किन्तु करुँ क्या सहूँ सब सजनी, चढ्यो प्रेम को रंग आली, चढ़ी लाल की लाली, अँग-अँग छयो अनंग स्याममयी हो गई सखी मैं तो, […]

Sakhi Ri Achraj Ki Yah Baat

अचरज की बात सखी री! अचरज की यह बात निर्गुण ब्रह्म सगुन ह्वै आयौ, बृजमें ताहि नचात पूरन-ब्रह्म अखिल भुवनेश्वर, गति जाकी अज्ञात ते बृज गोप-ग्वाल सँग खेलत, बन-बन धेनु चरात जाकूँ बेद नेति कहि गावैं, भेद न जान्यौ जात सो बृज गोप-बधुन्ह गृह नित ही, चोरी कर दधि खात शिव-ब्रह्मादि, देव, मुनि, नारद, जाकौ […]

Aaj Sakhi Shyam Sundar

मुरली का जादू आज सखी श्याम सुंदर बाँसुरी बजाये मोर-मुकुट तिलक भाल, पग में नूपुर सुहाये बिम्बाधर मुरलीधर, मधुर धुन सुनाये यमुना को रुकत नीर, पक्षीगण मौन भये धेनू मुख घास डार, धुनि में मन लाये त्रिभुवन में गूँज उठी, मुरली की मधुर तान समाधि भी गई टूट, योगी मन भाये बंशी-स्वर सुन अपार, भूले […]

Priti Ki Rit Na Jane Sakhi

प्रीति की रीति प्रीति की रीत न जाने सखी, वह नन्द को नन्दन साँवरिया वो गायें चराये यमुना तट, और मुरली मधुर बजावत है सखियों के संग में केलि करे, दधि लूटत री वह नटवरिया संग लेकर के वह ग्वाल बाल, मग रोकत है ब्रज नारिन को तन से चुनरी-पट को झटके, सिर से पटके […]