Aaj Sakhi Rath Baithe Nandlal
रथ-यात्रा आज सखी, रथ बैठे नंदलाल अति विचित्र पहिरे पट झीनो,उर सोहत वन-माल वामभाग वृषभानु-नंदिनी, पहिर कसूंभी सारी तैसोई घन उमड्यो चहुँ दिशि, गरजत है अति भारी सुन्दर रथ मणि-जटित मनोहर, अनुपम है सब साज चपल तुरंग चलत धरणी पे, रह्यो घोष सब गाज ताल पखावज बीन बाँसुरी, बाजत परम रसाल ‘गोविंददास’ प्रभु पे बरखत, […]
Chalo Ri Sakhi Nand Bhawan Ko Jayen
प्रभाती चलोरी सखि, नन्द भवन को जायें मिले श्याम सुन्दर का दर्शन, जीवन की निधि पायें प्रातः काल भयो सखि माँ लाला को रही जगाये उबटन लगा लाल को मैया, अब उसको नहलाये स्नेह भाव जसुमति के मन में, नवनीत उसे खिलाये केश सँवार नयन में काजल, माथे तिलक लगाये रेशम को जामा पहनाकर, स्नेह […]
Sakhi Ri Sundarta Ko Rang
दिव्य सौन्दर्य सखी री सुन्दरता को रंग छिन-छिन माँहि परत छबि औरे, कमल नयन के अंग स्याम सुभग के ऊपर वारौं, आली, कोटि अनंग ‘सूरदास’ कछु कहत न आवै, गिरा भई अति पंग
Dhanya Sakhi Suno Jasoda Maiya
बालकृष्ण चरित धन्य सखी सुनो जसोदा मैया घुँटुरन चलत बालकृष्ण अति कोमल नन्हें पैया मनमोहन को रूप रसीलो, गोपीजन मन भावत बारंबार कमल मुख निरखत, नंदालय सब आवत किलकि किलकि हुलसत है लालन, भगत बछल मनरंजन देत असीस सबहि गोपीजन, चिरजीवो दुख-भंजन
Sun Ri Sakhi Bat Ek Mori
ठिठोली सुन री सखी, बात एक मेरी तोसौं धरौं दुराई, कहौं केहि, तू जानै सब चित की मेरी मैं गोरस लै जाति अकेली, काल्हि कान्ह बहियाँ गही मेरी हार सहित अंचल गहि गाढ़े, इक कर गही मटुकिया मेरी तब मैं कह्यौ खीझि हरि छोड़ौ, टूटेगी मोतिन लर मेरी ‘सूर’ स्याम ऐसे मोहि रीझयौ, कहा कहति […]
Main Bhul Gai Sakhi Apne Ko
गोपी की प्रीति मैं भूल गई सखि अपने को नित्य मिलन का अनुभव करती, जब से देखा मोहन को प्रात: संध्या दिवस रात का, भान नहीं रहता मुझको सपने में भी वही दिखता, मन की बात कहूँ किसको कैसी अनुपम मूर्ति श्याम की, कैसा मनहर उसका रूप नयन हुए गोपी के गीले, छाया मन सौन्दर्य […]
Braj Me Aaj Sakhi Dekhyo Ri Tona
श्याम का जादू ब्रज में आज सखी देख्यो री टोना ले मटकी सिर चली गुजरिया, आगे मिले बाबा नंद का छोना दधि को नाम बिसरि गयो प्यारी, ले लेहुरी कोउ स्याम सलोना वृन्दावन की कुंज गलिन में, आँख लगाय गयो मन-मोहना ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, सुन्दर श्याम सुधर रस लोना
Sakhi Aayo Fagun Mas
होली सखि, आयो फागुन मास, चलों हम खेलें होरी गोपी-जन को कहें प्रेम से राधा गोरी इतने में ज्यों दिखे श्याम, गोपियाँ दौड़ी आई कहाँ छिपे थे प्यारे अब तक कृष्ण कन्हाई घेर श्याम को होरी की फिर धूम मचाई सब मिलकर डाले रंग उन्हीं पर, सुधि बिसराई मौका पा पकड़े मोहन राधा रानी को […]
Sakhi Meri Nind Nasani Ho
विरह व्यथा सखी, मेरी नींद नसानी हो पिव को पंथ निहारत सिगरी, रैण बिहानी हो सखियन मिल कर सीख दई मन, एक न मानी हो बिन देख्याँ कल नाहिं पड़त, जिय ऐसी ठानी हो अंग-अंग व्याकुल भये मुख ते, पिय पिय बानी हो अंतर-व्यथा विरह की कोई, पीर न जानी हो चातक जैहि विधि रटे […]
Sakhi Mohan Sang Mouj Karen
फागुन का रंग सखि, मोहन सँग मौज करें फागुन में मोहन को घरवाली बना के, गीत सभी मिल गाएँ री, फागुन में पकड़ श्याम को गलियन डोलें, ताली दे दे नाच नचाएँ मस्ती को कोई न पार आज, फागुन में हम रसिया तुम मोहन गोरी, कैसी सुन्दर बनी रे जोरी जोरी को नाच नचाओ रे, […]