Jo Bhaje Hari Ko Sada
हरि-भजन जो भजे हरि को सदा, सोई परमपद पायेगा देह के माला तिलक अरुछाप नहीं कुछ काम के प्रेम भक्ति के बिना नहीं, नाथ के मन भायेगा दिल के दर्पण को सफा कर, दूर कर अभिमान को शरण जा गुरु के चरण में, तो प्रभु मिल जायेगा छोड़ दुनियाँ के मजे सब, बैठकर एकांत में […]
Chintan Karti Sada Gopiyan
गौधरण चिन्तन करतीं सदा गोपियाँ, मुरलीधर का रम जातीं कर गान श्याम की लीलाओं का जभी चराने गौंओं को वे वन में जाते उनकी चर्चा करें, शाम तक जब वे आते अरी सखी! वंशी में जब वे स्वर को भरते सिद्ध पत्नियों के मन को नन्दनन्दन हरते मोर पंख का मुकट श्याम के मस्तक सोहे […]