Shri Krishna Chandra Sab Main Chaye
सर्वेश्वर श्रीकृष्ण श्री कृष्णचन्द्र सब में छाये जड़ चेतन प्राणीमात्र तथा कण कण में वही समाये जो महादेव के भक्त करे, गुणगान स्तुति उसमें ये विघ्नेश्वर गणपति रूप धरे, विघ्नों का नाश कर देते हम दुर्गाजी का पाठ करें, होते प्रसन्न उससे भी ये सद्बुद्धि देते सूर्यदेव, उनमें भी प्रकाशित तो ये चाहे पूजें किसी […]
Sab Chala Chali Ka Mela Hai
नश्वर संसार सब चला चली का मेला है कोई चला गया कोई जाने को, बस चार दिनों का खेला है घर बार कपट की माया है, जीवन में पाप कमाया है ये मनुज योनि अति दुर्लभ है, जिसने दी उन्हें भुलाया है विषयों में डूब रहा अब भी, जाने की आ गई वेला रे सब […]
Jagahu Lal Gwal Sab Terat
प्रभाती जागहु लाल ग्वाल सब टेरत कबहुँ पीत-पट डारि बदन पर, कबहुँ उघारि जननि तन हेरत सोवत में जागत मनमोहन, बात सुनत सब की अवसेरत बारम्बार जगावति माता, लोचन खोलि पलक पुनि गेरत पुनि कहि उठी जसोदा मैया, उठहु कान्ह रवि किरनि उजेरत ‘सूर’ स्याम हँसि चितै मातु-मुख, पट कर लै, पुनि-पुनि मुख फेरत
Sab Se Bada Dharma Ka Bal Hai
धर्म निष्ठा सबसे बड़ा धर्म का बल है वह पूजनीय जिसको यह बल, जीवन उसका ही सार्थक है ऐश्वर्य, बुद्धि, विद्या, धन का, बल होता प्रायः लोगों को चाहे शक्तिमान या सुन्दर हो, होता है अहंकार उसको इन सबसे श्रेष्ठ धर्म का बल, भवसागर से जो पार करे जिस ओर रहे भगवान् कृष्ण, निश्चय ही […]
Dekhe Sab Hari Bhog Lagat
अन्नकूट देखे सब हरि भोग लगात सहस्र भुजा धर उत जेमत है, इन गोपन सों करत है बात ललिता कहत देख हो राधा, जो तेरे मन बात समात धन्य सबहिं गोकुल के वासी, संग रहत गोकुल के नाथ जेमत देख नंद सुख दीनों, अति प्रसन्न गोकुल नर-नारी ‘सूरदास’ स्वामी सुख-सागर, गुण-आगर नागर दे तारी
Main Apani Sab Gai Chare Ho
गौ चारण लीला मैं अपनी सब गाइ चरैहौं प्रात होत बल के संग जैहौं, तेरे कहे न रैहौं ग्वाल-बाल गाइनि के भीतर, नेकहु डर नहिं लागत आजु न सोवौं, नंद-दुहाई, रैनि रहौंगो जागत और ग्वाल सब गाइ चरैहैं, मैं घर बैठौ रैहौं ‘सूर’ श्याम, तुम सोइ रहो अब, प्रात जान मैं दैहौं
Mohi Kahat Jubati Sab Chor
चित चोर मोहिं कहति जुवति सब चोर खेलत कहूँ रहौं मैं बाहिर, चितै रहतिं सब मेरी ओर बोलि लेहिं भीतर घर अपने, मुख चूमति भर लेति अँकोर माखन हेरि देति अपने कर, कई विधि सौं करति निहोर जहाँ मोहिं देखति तँहै टेरति, मैं नहिं जात दुहाई तोर ‘सूर’ स्याम हँसि कंठ लगायौ, वे तरुनी कहँ […]
Yah Lila Sab Karat Kanhai
अन्नकूट यह लीला सब करत कन्हाई जेंमत है गोवर्धन के संग, इत राधा सों प्रीति लगाई इत गोपिनसों कहत जिमावो, उत आपुन जेंमत मन लाई आगे धरे छहों रस व्यंजन, चहुँ दिसि तें सोभा अधिकाई अंबर चढ़े देव गण देखत, जय ध्वनि करत सुमन बरखाई ‘सूर’ श्याम सबके सुखकारी, भक्त हेतु अवतार सदाई
Sab Din Gaye Vishay Ke Het
विस्मरण सब दिन गये विषय के हेत तीनों पन ऐसे ही बीते, केस भये सिर सेत रूँधी साँस, मुख बैन न आवत चन्द्र ग्रसहि जिमि केत तजि गंगोदक पियत कूप जल, हरि तजि पूजत प्रेत करि प्रमाद गोविंद, बिसार्यौ, बूड्यों कुटुँब समेत ‘सूरदास’ कछु खरच न लागत, रामनाम सुख लेत
Sundar Shyam Sakha Sab Sundar
सुंदर श्याम सुंदर स्याम सखा सब सुंदर, सुंदर वेष धरैं गोपाल सुंदर पथ सुंदर गति आवन, सुंदर मुरली शब्द रसाल सुंदर लोक, सकल ब्रज सुंदर, सुंदर हलधर, सुंदर चाल सुंदर वचन विलोकनि सुंदर, सुंदरि गन सब करति विचार ‘सूर’ स्याम को संग सुख सुंदर, सुंदर भक्त हेतु अवतार